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मिलन के इंतज़ार में / रश्मि शर्मा
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21:42, 6 अक्टूबर 2018
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<poem>
बहुत बड़ा है हमारा देश
और हमारे शहर के दरमियॉं
ज़िंदा रहती है तमाम उम्र
फिर मिलन के इंतज़़ार में।
</poem>
वीरबाला
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