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04:56, 9 अक्टूबर 2018 {{KKGlobal}}
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<poem>
या तो मिट जाइये या मिटा दीजिये
कीजिये जब भी सौदा खरा कीजिये
अब जफ़ा कीजिये या वफ़ा कीजिये
आख़री वक़्त है बस दुआ कीजिये
(जफ़ा = सख्ती, जुल्म, अत्याचार)
अपने चेहरे से ज़ुल्फ़ें हटा दीजिये
और फिर चाँद का सामना कीजिये
हर तरफ़ फूल ही फूल खिल जायेंगे
आप ऐसे ही हँसते रहा कीजिये
आप की ये हँसी जैसे घुँघरू बजे
और क़यामत है क्या ये बता दीजिये
हो सके तो ये हमको सज़ा दीजिये,
अपनी ज़ुल्फों का क़ैदी बना लीजिये
</poem>