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05:33, 17 अक्टूबर 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सवाईसिंह शेखावत
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avita}}
<poem>
पुनर्वास एक जायज कार्रवाई है
बशर्ते वह दूसरों की जमीन न हड़पती हो
घर बसाने की कला हमें दूब से सीखनी चाहिए
स्थानिकता की जड़ों में ठहरी
समय के निर्मम थपेड़ों को सहती
वह इंतजार करती है रात को झरती ओस का
हितैषी हवाओं और अनुकूल मौसम का
जब वह दीवार की संध में फिर से अंकुरित होगी
और ढाँप लेगी खंडहर महल के कंगूरों को ।
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