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इलाहाबाद : 1970 / वीरेन डंगवाल

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इस बित्ते भर की गुमटी में
''अब वो बात कहाँ रही साहेब
अब तो एक से एक आवे लगा है
यूनवरसीटी में पढ़ने के लिए।“लिए।
इस हिकारत में है चापलूसी का एक अद्वितीय ढंग
तजुरबे से ही आता है यह सब
''अपना लड़का है एकरामवह बहरहाल छठी से आगे नहीं गया।“गया।
इतना ज़रूर है कि कभी किसी छात्र-नेता तक से
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