भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इन्तज़ार / उज्ज्वल भट्टाचार्य

No change in size, 17:28, 23 अक्टूबर 2018
कोपलों के खिलने की ज़मीन बनाएँगी
बादलों के पीछे से हल्की -सी धूप
मेट्रो में बैठी औसत-सी दिखने वाली युवती की तरह
अचानक मुस्कराकर शर्मा-सी जाएगी
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits