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Kavita Kosh से
या फिर
धरती पर रेंगने वाला तुच्छ प्राणी
बरसो
बादल की तरह
नदी की तरह
गिरो
जल -प्रपात की तरह
उगो
चट्टान पर बीज की तरह
खिलो
फूल की तरह
ठहरना अगर पड़े तो
ठहरो
प्लेटफार्म पर सवारी गाड़ी की तरह
बरसों,बहो, गिरो, खिलो, चीख़ोचीखो, ठहरो
काला पत्थर
भुरभुरा कर फिर आ मिलेगा
तुम्हारे संग
गेहूँ की बालियाँ
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