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उस एक पल के लिए / सुकेश साहनी

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<Poem>
बैठता ज़रूर जरूर है
बंदूक पर कबूतर
चाहे एक पल के लिए
ढीली पड़तीठिठकतेज़रूर हैजरूर हैंछुरे की मूठ खुदकुशी पर पकड़आमादा कदम
चाहे एक पल के लिए
ठिठकते धड़कताज़रूर हैंजरूर हैख़ुदकुशी पर आमादा क़दमधुन खाया उदास दिल
चाहे एक पल के लिए
ज़वाबदेही ज़रूर हैचाहे एक पल के लिएधड़कता ज़रूर हैघुन खाया उदास दिलचाहे एक पल के लिएज़वाबदेही जवाबदेही
हमारी भी है
दोस्तो !उस–उस-
एक पल के लिए
चाहें तो
उड़ा देंतोपों सेयाचुरा–लें–नज़रेंचुरा-लें-नजरेंया कि–कि-
समेट लें
उस पल को
नवजात शिशु की तरह
 
</poem>