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मेरे भी पांव में रस्ते बहोत हैं / जंगवीर सिंंह 'राकेश'
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00:50, 18 नवम्बर 2018
रिहा कर दो न, सब पंछी क़फ़स<ref>पिंजरा</ref> से
सुना है आप
ताे
तो
अच्छे बहोत हैं
</poem>
Jangveer Singh
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