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पद / 2 / सरस्वती देवी

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<poem>
प्रथम पढ़ायो ब्याकरण पुनि कछु काव्य-विचार।
तदनन्तर सिखयो गणित बहुरि सुरीति प्रकार॥

तब कछु उर्दू फारसी बँगला वर्ण सिखाय।
कुछ अँगरेजी अक्षरन पितु मोहिं दीन्ह दिखाय॥

ध्यान हू न होय जाको तव प्रीति ताकी दीठि,
फेरिबे की पूरी अधिकारी झनकारी है।

करहु कदापि अंगीकार ये सिंगार नाहिं,
पतिब्रत-धारी सुनो बिनय हमारी है॥

</poem>
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