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03:05, 19 दिसम्बर 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सरस्वती देवी
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<poem>
प्रथम पढ़ायो ब्याकरण पुनि कछु काव्य-विचार।
तदनन्तर सिखयो गणित बहुरि सुरीति प्रकार॥
तब कछु उर्दू फारसी बँगला वर्ण सिखाय।
कुछ अँगरेजी अक्षरन पितु मोहिं दीन्ह दिखाय॥
ध्यान हू न होय जाको तव प्रीति ताकी दीठि,
फेरिबे की पूरी अधिकारी झनकारी है।
करहु कदापि अंगीकार ये सिंगार नाहिं,
पतिब्रत-धारी सुनो बिनय हमारी है॥
</poem>