Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तोरनदेवी 'लली' |अनुवादक= |संग्रह= }} {{...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तोरनदेवी 'लली'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}

<poem>

मनमोहन श्याम हमारे!
अब फिर कब दर्शन दोगे?
शबरी गणिका गीध अजामिल
सब को लिया उबार।
द्रु पदसुता की लाज बचाकर
कर गज का उद्वार।
हे दीनन के रखवारे,
क्या मेरी भी सुध लोगे?
भूली नहीं मधुर मुरली की
विश्व विमोहनि तान।
नाथ आज भी जाग रहा
वह गीता का ज्ञान।


</poem>
761
edits