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01:19, 29 दिसम्बर 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=तारादेवी पांडेय
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<poem>
निर्भय रहने दो, मत छेड़ो इस वीणा के तार।
किसे सुनाओगे तुम इसकी सूनी-सी झंकार॥
उन तारों पर गाया करती हँ मैं नीरव गान।
नहीं जानती कब होगा इन गीतों का अवसान॥
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