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सुनो / तारादेवी पांडेय

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<poem>

निर्भय रहने दो, मत छेड़ो इस वीणा के तार।
किसे सुनाओगे तुम इसकी सूनी-सी झंकार॥
उन तारों पर गाया करती हँ मैं नीरव गान।
नहीं जानती कब होगा इन गीतों का अवसान॥

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