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पहले चमचों का जयकारा / डी. एम. मिश्र
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15:25, 30 दिसम्बर 2018
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<poem>
पहले चमचों का जयकारा
फिर नेताओं का जयकारा
घर के मालिक से भी पहले
घर के कुत्तों का जयकारा
पुलिस दरोगा थाना छोड़ो
पहले गुंडों का जयकारा
देश को जो खोखला कर रहे
उन घोटालों का जयकारा
वीरों का जो धनुष रखा लें
उन शिखंडियों का जयकारा
देश में रहना है तो बोलो
मोदी भक्तों का जयकारा
हर महफ़िल में बोलो पहले
धूर्तों मूर्खों का जयकारा
</poem>
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