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|रचनाकार=रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'
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<poem>
जय जननी जय भारत माता ।
हरे-भरे वन-पर्वत शोभित
मोहित विश्व -विधाता ।

कलकल करती बहतीं नदियाँ
गुणगण गायन करतीं सदियाँ
सर्व सौख्य -संपन्न धन्य यह
धरती -शौर्य -प्रदाता ।
जय जननी, जय भारत माता ।।

सत्वशील सत्-तत्पर सब नर
व्यवहारी,गुणग्राही, श्रुतिधर
नीतिनिष्ठ, बहु शास्त्र -विज्ञ ,अति
वत्सल, यश-रस -ज्ञाता ।
जय जननी जय भारत माता ।।

युद्ध -दक्ष, ध्रुवबुद्धि, प्रियंवद
नृत्य -गीति-प्रिय, प्रीति -वशंवद
जनवल्लभ, दुर्वृत्ति-विवर्जित
क्रियाकृती,सारज्ञ, प्रदाता ।
जय जननी, जय भारत माता ।।

</poem>
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