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पता नहीं क्यों
आज फिर सूरज बहुत उदास है ?
हवा खामोश ,सड़कें सूनी
और गलियाँ वीरान हैं ?
पता नहीं क्यों
सिरफिरी गोलियों के शिकार हो गये हैं।
जानता हूँ आतंकवाद को
जिन्दगी से नफरत और मौत से प्यार है।
उसे किसी का बोलना पसंद नहीं,
उसके राज्य में स्वच्छंदता और
अमन - चैन पर पाबंदी है ,
देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा जघन्य अपराध हैं ,
एकता की बात करना सबसे बड़ा पाप है ।
आतंकवाद का अन्तिम लक्ष्य शाश्वत आतंक है ,
भय की मानसिकता का निर्माण है ,
भय - दोहन है ,
वातावरण की शब्दहीनता का शिलान्यास है ।
मित्रो ! बड़ा घातक होता है
वातावरण का शब्दहीन होना ।
शब्दहीनता : मानवीय संवेदना की मृत्यु का संसूचक है ,
मरघट का सन्नाटा है ,
अन्याय से जूझनेवाले जीवट का
गहरे अवचेतन में चला जाना है ।
शब्दहीनता : वस्तुत :मूल्यहीनता का पर्याय है ,
समाज के कायर होने की पहचान है ,
आतंकवाद की मूक स्वीकृति का संधि -पत्र है ।
इसलिए दोस्तो ! आओ
शब्दहीनता को तोड़ने के लिए
एक जुट हो संघर्ष करें ,
जिससे कि सूरज पहले की तरह
फिर मुस्काता हुआ निकले ,
हवा नवेली दुल्हन - सी
पैंजनी बजाती आये ,
कालेज जाती लड़कियों -सी पेड़ों की पत्तियाँपहले के मानिन्द गुनगुनाएँ ,
पक्षियों के इंद्रधनुषी पंख
पहले के मानिन्द आकाश की ऊँचाई नापें ,
वह लहलहाते मैदान को
रेगिस्तान बनाना चाहता है ।
फिर भी दोस्तो ! आओ
इस शब्दहीनता को तोड़ने के लिए आवाज उठायें,
एकजुट हो संघर्ष करें ,
जिससे कि सूरज
पहले की तरह फिर मुस्कराता हुआ निकले ,
हवा नवेली दुल्हन -सी पैंजनी बजाती आये ।
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