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{{KKRachna
|रचनाकार=कपिल भारद्वाज
|अनुवादक=
|संग्रह=सन्दीप कौशिक
}}
{{KKCatHaryanaviRachna}}
<poem>
कविता लिखने से पहले ही,
कवि का दर्जा पाने वाला, शायद पहला हूँ मैं ।
मैंने जब प्रेम किया, तो लोगों ने कहा,
इतनी शिद्दत से प्यार सिर्फ, एक कवि ही कर सकता है ।
सीटियां बजाते हुए जब मैं बारिश में, उड़ेल देता अपनी देह को,
कोने में खड़े जेंटलमैन, फुसफुसाते कि,
इसकी आवारा सीटी में है, कविता का संगीत ।
हर वक्त स्वप्न देखना, मेरी कला बन गई,
उनको करीने से सजता तो, लोग कहते कि,
अपनी कविताओं की, प्रूफ रीडिंग कर रहा है ।
जब मैं बोलता तो लगता कि, श्रवण कुमार भर रहा है घड़े में पानी,
कई दशरथो के निशाने होते मुझपर,
छाती पर बाणों को मुस्कुराकर सहता,
तो लोग कहते ऐसा साहस, एक कवि में ही हो सकता है ।
असल मे मैं कवि नहीं हूं,
मैं तो बस लोगों को सच करने में लगा हूँ ।
</poem>
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|रचनाकार=कपिल भारद्वाज
|अनुवादक=
|संग्रह=सन्दीप कौशिक
}}
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<poem>
कविता लिखने से पहले ही,
कवि का दर्जा पाने वाला, शायद पहला हूँ मैं ।
मैंने जब प्रेम किया, तो लोगों ने कहा,
इतनी शिद्दत से प्यार सिर्फ, एक कवि ही कर सकता है ।
सीटियां बजाते हुए जब मैं बारिश में, उड़ेल देता अपनी देह को,
कोने में खड़े जेंटलमैन, फुसफुसाते कि,
इसकी आवारा सीटी में है, कविता का संगीत ।
हर वक्त स्वप्न देखना, मेरी कला बन गई,
उनको करीने से सजता तो, लोग कहते कि,
अपनी कविताओं की, प्रूफ रीडिंग कर रहा है ।
जब मैं बोलता तो लगता कि, श्रवण कुमार भर रहा है घड़े में पानी,
कई दशरथो के निशाने होते मुझपर,
छाती पर बाणों को मुस्कुराकर सहता,
तो लोग कहते ऐसा साहस, एक कवि में ही हो सकता है ।
असल मे मैं कवि नहीं हूं,
मैं तो बस लोगों को सच करने में लगा हूँ ।
</poem>