शब्द हरा पत्ता है
कविता पत्तों टहनियों की इमारत
पत्ते मंे मेेंं क्लोरोफिल
क्लोरोफिल में मैग्नीशियम
मैग्नीशियम में भरा ख़ाली आस्माँ।
देखते ही देखते टहनियाँ, हरे पत्ते
उफ़! कविता का संसार!
अन्ततः क़लम
कब तक जंग में लगी-सी पड़ी थी
चारों ओर देखती, डेस्क पर, बिस्तर पर
पड़ी रहती जेब में, फाइलों के बीच
कई बार चलने को हुई
झिझकती रूक गई।
अन्ततः क़लम
चल पड़ी है
पीले रंगों की ओर
जिनकी वजह से वह रुकी पड़ी थी।
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