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ढूँढा है हर जगह पे कहीं पर नहीं मिला / हस्तीमल 'हस्ती'
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04:51, 25 जनवरी 2019
सारी चमक हमारे पसीने की है जनाब
विरसे में हमको कोई भी ज़ेवर नहीं मिला
घर से हमारी आँख-मिचौली रही सदा
आँगन नहीं मिला तो कभी दर नहीं मिला
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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