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|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
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<poem>
चाहे जिससे भी वास्ता रखना
चल सको उतना फ़ासला रखना

चाहे जितनी सजाओ तस्वीरें
दर्मियां कोई आईना रखना

घर बड़ा हो कोई ज़रूरी नहीं
ये ज़रूरी है दिल बड़ा रखना

वस्ल बुनियाद है जुदाई की
ध्यान में ये भी फ़लस़फा रखना

वक़्त दस्तक नहीं दिया करता
अपना दरवाज़ा तुम खुला रखना

अपने घर को सजाओ अपनी तरह
ख़ुद से पूछो कहाँ पे क्या रखना

</poem>