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मेरे पास / निकोलस गियेन

74 bytes added, 10:09, 28 जनवरी 2019
<poem>
जब मैं ख़ुद को देखता हूँ और छूता हूँ ख़ुद को
मैं जॉनह्वान
कुछ भी तो नहीं था जिसके पास कल
मैं जॉन ह्वान
जिसके पास सब कुछ है आज
आज सब-कुछ के साथ
मैं ख़ुद को देखता हूँ और छूता हूँ
और पूछता हूँ ख़ुद से-
ऐसा कैसे हुआ
ध्यान से देखो मैंने क्या किया है
क्या से क्या बना दिया है
आज मैं कह सकता हूँ गन्नामैं कह सकता हूँ पहाड़शहर कह सकता हूँ मैंअपनी जुबान से कह सकता हूँ मैं सेना—सेना
ये सब मेरे हैं
हमेशा के लिए अब ये सब तेरे हैं
और कह सकता हूँ मैनेजर से
अंग्रेज़ी में "सर" नहीं
बल्कि अपनी भाषा में "कम्पानेरो"यानी साथी
जैसे कहते हैं हम स्पानी में
ज़रा देखो मुझे
काला होते हुए भी
मैं किसी डांसिंगडाँस-हाल में घुस सकता हूँ
किसी भी बार के दरवाज़े को खोल सकता हूँ
किसी भी होटल के गलीचे पर चल-फिर सकता हूँ
चाहे तुम अब मुझ पर कितना ही चीख़ो कोई चीख़ नहीं सकता कि जगह नहीं है मेरे लिएहोटल मेंवो कोई विशाल कमरा नहीं , लेकिन एक छोटा कमराएक नन्हा कमरा , फिर भी ले सकता हूँ मैं
आराम करने के लिए
ज़रा देखो , मेरे पास क्या हैअब कोई ऐसी यहाँ देहाती पुलिस नहीं है
जो मुझे पकड़ ले और मुझे बन्द कर दे हवालात में
जो मुझे बेदख़ल कर दे मेरी ज़मीन से
जो पहले भी होना चाहिए था।
'''अंग्रेज़ी अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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