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10:43, 8 फ़रवरी 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विशाल समर्पित
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<poem>
यदि कभी
मैं याद आऊँ
गीत मेरा गुनगुनाना
प्राण
केवल पास मेरे
पास में वैभव नहीं है
व्योम-वसुधा
का मिलन प्रिय
हाँ कभी संभव नहीं है
हो सके
तो बंद कर दो
रात-दिन सपने सजाना (1)
जब कभी
तुमको पुकारा
दौड़कर संत्रास आए
दूरियाँ
दुगनी हुईं प्रिय
जब कभी भी पास आए
दूरियाँ ही
भाग्य हैं तो
तुम कभी मत पास आना (2)
हाथ अपने
खोलकर अब
नेह का मन व्यय करेगा
हाँ वही
स्वीकार होगा
जो समय अब तय करेगा
भूल
जाऊँगा तुम्हे मैं
तुम मुझे भी भूल जाना (3)
</poem>
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