गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उड़ गई ठण्ड कबूतर-सी / आजाद रामपुरी
No change in size
,
16:03, 17 फ़रवरी 2019
मीठी लगने लगती छाया जैसे पूँछ हो बन्दर की
आसमान से सूरज उतरा, मूँछें थानेदारों
-
सीआँखें करे अंगारों जैसी, पोशाक बंजारों
-
सी
लू लपटों की लगी दुकानें लटकें फूल पलाशों के
मेहमानों-सी आऊ गरमी, दिन हैं खेल-तमाशों के
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,118
edits