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<poem>
जितना भुलाना चाहें भुलाया न जायेगा
दिल से किसी की याद का साया न जायेगा

वो बेवफ़ाइयों की करें कोशिशें हज़ार
दामन वफ़ा का उनसे छुड़ाया न जायेगा

आसां है तंज़ करना किसी पर, मगर ये तंज़
करता है ज़ख़्म कितने बताया न जायेगा

जो भी हुआ सही कि ग़लत अपने दरमियाँ
उसको किताबे-दिल से मिटाया न जायेगा

मानो भी, दे दो अपनी परेशानियाँ तमाम
बारे-गिरां ये तुमसे उठाया न जायेगा

कोई भी क़ौम के तईं हो बेवफ़ा, मगर
इल्ज़ाम तो किसी पर लगाया न जायेगा

'दरवेश' अपनी ज़ात में सिमटे मिले सभी
हरगिज़ किसी से हाथ मिलाया न जायेगा
</poem>
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