|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
दुश्मन दिल के हीं हम अप्पन दिलदार बनयबइ।दरद के दवा तो इहाँ शराब नञ् हेआब मिलके हमसब नउका बिहार बनयबइ।।पियेवाला के लगे नीक तो खराब नञ् हेदे रहलइ हें सूरज हमर घर पर दस्तक।हम अप्पन किस्मत केकरो ले ई दुनियाँ नञ् छोड़े के चमकदार बनयबइ।।चाहीआबऽ .जीये ले ई दुनियाँ में सिरिफ शबाब नञ् हेपियेवाला ...पुरुष हिअइ हमरा में पौरुष छलकऽ हे।हम अउ भी तो ई जुआनी ढेर रिश्ता हे जीये के दमदार बनयबइ।।खातिरआबऽ ....भाँति-भाँति हरेक बात में देबे के फूल खिलल इहाँ जबाव नञ् हे ई बगिया में।सब फूलन के एगो हम तो हार बनयबइ।।आबऽ पियेवाला ....छुआछूत के फेर ढेर फूल हे चमन में हम बड़ दिन रहलूँ।खिलल खिलल इहाँमानवता सुगंध के हम अप्पन सिंगार बनयबइ।।खातिर सिरिफ गुलाब नञ् हेआबऽ पियेवाला ....सूक्खल नदी हर हाल में नाव भी हम चला सकऽ ही।इहाँ तोरा जीये पड़तो जिनगीहम तो अप्पन जिनगी मूड़ी नवा के रसदार बनयबइ।।जीयेवाला आफताब नञ् हेआबऽ पियेवाला ....मेहनतकश इंसाँ इहाँ कहिओ न´् हारऽ हे।धरम-करम हे बेकार के हम तो अप्पन यार बनयबइ।।ई जिनगी रफ्तार के बिनाआबऽ हो सके जे नञ् पूरा ऊ कोय ख्वाब नञ् हेपियेवाला ....हम इतिहाँस पढ़ऽ ही न´् इतिहाँस बनाबऽ ही।हम अप्पन सूबा रुक सकऽ हऽ कभिओ नञ् तूँ मंजिल के सदाबहार बनयबइ।।पहिलेजेकर जवाब मिल सकऽ हे ऊ लाजबाब नञ् हेआबऽ पियेवाला ....
</poem>