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न पूछो कौन अब किसकी निगाहों का निशाना है। शारदे माँ को केवल नमन चाहिए. अभी थोड़ी वफ़ा इस जिंदगानी से निभाना है॥साधना पंथ का अनुगमन चाहिए॥
वजह ढूँढ़े नहीं मिलती जिये जाने गर्व की बात या कर न अभिमान की दुनियाँ में बहुत दिन जी लिए तुम बिन हमें अब पास आना है॥ज्ञान की ओर तेरी लगन चाहिए॥
जमाने भर के दर्दों ने है कुटी ढूँढ़ ली मेरीमुक्ति का द्वार खुल जायेगा आप हीकरें क्या आँसुओं जाह्नवी नीर का आँख से रिश्ता पुराना है॥आचमन चाहिए॥
बहुत हैं अड़चनें पथ में हैं पल-पल ठोकरें मिलतीं जगमगायेगी तम से भरी यह जगह न थक कर बैठ तुम जाओ अभी तो दूर जाना है॥एक जलते दिए की किरन चाहिए॥
न तोड़ो तुम कली को ये बड़ी मासूम है होती जुगनुओं ने भी रोशन किये घोंसले इसे सम्बंध खुशबू खार दोनों से निभाना है॥पाँव को अब न कोई थकन चाहिए॥
सुबह से ही चिरैया चहचहाती मेरे आँगन में हार जाएँगी सब मुश्किलें है राह की बिखेरा उसकी खातिर भी जरा-सा पानी दाना है॥आँख में जीत का एक सपन चाहिए॥
नदी दौड़ी चली जाती समंदर से मिलन करने हाथ में ले मशालें चलो चल पड़ें समंदर का मगर दिल तो सदा से आशिक़ाना है॥साथ साहस भरा एक मन चाहिए॥
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