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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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<poem>
सुधारऽ सइयाँ अपन तूँ चलनियाँ।चलनियाँउतर जइतो न´् नञ् तो तोहर पनियाँ।।पनियाँरोजे रोज जा हा बरबिघा बजरिया।बजरियाकेकरा पर लुटाबऽ हऽ अपन नजरिया।नजरियान´् नञ् काम देतो तोरा ऊ नचनियाँ।। नचनियाँउतर ....सँझिया के आबऽ हऽ सइयाँ तूँ झूमते।झूमतेताकऽ हऽ एक्को बेरी न´् नञ् हमरा घूम के।केरात रात भर रोबे ई बिरहिनियाँ।। बिरहिनियाँउतर ....बेच देला टीका बेच देला बाली।बालीकर देला हमरा दुनहुँ हाँथ खाली।खालीसइयाँ आउ बेच देला तूँ नथनियाँ।। नथनियाँउतर ....हमरो कहनमा मान ले सजनमाँ।सजनमाँतोहरे में बसल हे हमरो परनमाँ।परनमाँकाम देतो तोरा सबदिन ई रनियाँ।। रनियाँउतर .....
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