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{{KKRachna
|रचनाकार=रुडयार्ड किपलिंग
|अनुवादक=तरुण त्रिपाठी
|संग्रह=
}}
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<poem>
अगर मैंने आपको आनंद दिया है
कुछ भी से, जो मैंने किया है
तो मुझे उस रात में सुकून से रहने दें
जो शीघ्र आपकी होगी

और उस थोड़े से थोड़े भी वक़्त के लिए
अगर ये मृतक मस्तिष्क में जी उठे
तो और कहीं कोई सवाल-ज़वाब न हो
सिवा उनसे जो मैं छोड़ जा रहा हूँ पुस्तकें...

{..'किपलिंग' ने अपने निजी तथा अप्रकाशित लेखनों का एक बंडल अपनी मृत्यु से पहले जला डाला था.. वे अपने प्राइवेसी के प्रति बहुत सख़्त थे..}

</poem>