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05:25, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
साथ में प्यार औ वफ़ा रखिये
आप जीने का हौसला रखिये
जिंदगी चार दिन बची अब तो
क्यूँ किसी से कोई गिला रखिये
सिर्फ़ खुशियाँ नहीं मिला करती
हाथ ग़म से भी तो मिला रखिये
है नहीं साथ हर कोई देता
आप सबसे न आसरा रखिये
हर मुसीबत से है बचा लेती
साथ माँ बाप की दुआ रखिये
</poem>