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|रचनाकार=सुमन ढींगरा दुग्गल
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<poem>

हाथों में अगर हाथ तुम्हारा नहीं होता
तन्हा ये सफ़र मुझको गवारा नहीं होता

तुम अपनी मुहब्बत का अगर रंग न भरते
घर स्वर्ग से सुंदर हमारा नहीं होता

था ज़िंदगी की राह पे चलना मेरा मुश्किल
अँगुली का अगर तेरी सहारा नहीं होता

हाथों में अगर आपके पतवार न होती
शायद मेरी किस्मत में किनारा नहीं होता

मैं जानती हूँ चाँद के टुकड़े भी न होते
अंगुली का अगर उन की इशारा नहीं होता

आ जाता दरीचे से नज़र चाँद हमारा
ए अब्र जो दुश्मन तू हमारा नहीं होता

गर ज़ौक़ ए मशक्कत ये हमारा नहीं होता
रौशन कभी किस्मत का सितारा नहीं होता

</poem>