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|रचनाकार=भारतेन्दु मिश्र
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|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
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<poem>
तीनि-पाँच बइमानी कइकै
भे बड़कउनू भैया
लोटिया जिनकी बूड़ि रहै
अब पइरै उनकी नैया

बी.डी.ओ. परधान प्रमुख जी
का तक ई समुझावैं
खुसुर-पुसुर तय करैं कमीसन
क्लरकन का पलझावैं

लासा रोज लगावैं फाँसैं
नित-नित नयी चिरैया

बातन मा देखाति हैं
जैसन सरवन के अवतार
मन से जेबै कतरै खातिर
हरदम बैठ तयार

ऊपर ते ममाखि का छत्ता
भीतर भरे बरैया

<poem>