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पारिजात / जगदीश गुप्त

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पारिजात ।
वन्दन की रेखा पर चन्दन की पंखुरीपँखुरी, चुपके से आुँचल आँचल में ढलने की आतुरी,
प्राणों पर बरस रहे चुम्बन से फूल,
डालों की बाँहों के आसपास,
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