<poem>
मानै छी सुनियौ रघुवंशी पुरूष अहाँ बेजोड़ औ,
हमरा सिया सखी लग लेकिन , लागै छी किछु थोड़ औ
अपने केॅ जन्मौलनि माता,
सीता हमर सहज संजाता,
कतबो सुन्नर श्याम मुदा छी,
कतबो गुनगर राम मुदा छी,अपने हम्मर नीलाकाश जानकी, लाली पसरल भोर औ ।औ।हमरा सिया सखी लग लेकिन , लागै छी किछु थोड़ औ
मादक दृष्टि कमल दल लोचन
नशा बनल चढ़ि रहल नेह अछि,
बिसरल छी हम कतऽ देह अछि,
मुदा सियाक दिव्य दर्शन मे , अमृते केर बोर औ हमरा सिया सखी लग लेकिन , लागै छी किछु थोड़ औ
धनुषा तोड़ल पाबि जुआनी,
ताहि धनुखा केर सुनु पिहानी
तकरा बाल्यावस्थे मे ई
उठा लेलनि कऽ कोर औ ।औ।हमरा सिया सखी लग लेकिन , लागै छी किछु थोड़ औ
उच्च विचार आचरण सादा,
सदिखन संयोगल मरयादा,
आइ कतऽ रहि गेल बपौटी,
पिछरल चरण करीनक पौटी
फलक साधिका सीता हम्मर, अपने फूलक चोर औ हमरा सिया...सखी लग लेकिन, लागै छी किछु थोड़ औ
</poem>