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है ये ख़ुशफ़हमी मगर कोई भी खुशदिल है कहाँउस बेवफ़ा को अपना बनाने से फ़ायदाइस हक़ीक़त बेवज्ह जुल्म ख़ुद पर ही ढाने से हर इक आदमी ग़ाफ़िल है कहाँफ़ायदा
जिसमें मौजूद बसारत भी बसीरत भी होचाहा बहुत न राज़े-महब्बत खुले कभीढूँढ लेता खुल ही गया है वो तूफ़ां में भी, साहिल है कहाँजब तो छुपाने से फ़ायदा
ज़िन्दगी जीने आईन का मिटा दिया हो जिसने भी हुनर सीख लियालफ़्ज़-लफ़्ज़मस्अला कोई भी उसके लिए मुश्किल है कहाँआईना उस बशर को दिखाने से फ़ायदा
रूबरू थी वो मेरे दिल में भी मौजूद थी वोनीलाम जिसने कर दिया अपने ज़मीर कोऔर मैं पूछता-फिरता था कि मंज़िल है कहाँऐसे बशर को कुछ भी सुनाने से फ़ायदा
ग़म ही ग़म सहते हुए ऊब चुका हूँ दरकार कुछ न था जिन्हें दरकार है सब आजऔक़ात उनकी क्या है बताने से फ़ायदा हमने जिसे था टूट के चाहा हयात मेंउसके लिए अब अश्क बहाने से फ़ायदा सच-झूठ से उरूज की मंज़िल जो पा गये'दरवेश'जी लगा लूँ मैं जहाँ बोल, वो महफ़िल है कहाँउनके ऐब गिनाने से फ़ायदा
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