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13:22, 2 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धनेश कोठारी
|अनुवादक=
|संग्रह=[[ज्यूंदाळ / धनेश कोठारी]]
}}
{{KKCatGadhwaliRachna}}
<poem>
हे जी!
अब/ चुनौ कू बग्त
औंण वाळु च
तुमन् कै जिताण
अरेऽ
अबारि दां मिन
अफ्वी खड़ु ह्वेक
सबूं फरैं
चुनू लगाण।
</poem>