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इस बेहिसी के दौर में बस प्यार की तलाश है
बेनूर जिन्दगी को भी फनकार की तलाश है।
जब वक्त था माँ.बाप का भूले थे हम निज धर्म कोएको
क्यों अपने बच्चों में हमें आधार की तलाश है।
बेटा सदा आगे बढ़े कोशिश सदा करते रहेएरहे
फिर बेटियों में क्यों हमें अधिकार की तलाश है।
दुख दर्द में समाज से मुँह मोड़ हम बढ़ते गएएगए
क्यों आज अपने दुख में यूँ सहकार की तलाश है।
जीते सदा दुश्मन से हम प्रयास ऐसा हो ष्मृदुलश्ए'मृदुल'
क्यों आज देश में हमें जयकार की तलाश है।
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