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16शुभ कर्मों का है मिला, बदले यह उपहार।टिका दिए हैं ओक में,कुछ काँटे, अंगार।17जिन अधरों से थे झरे,हरदम हरसिंगार।अपने चुन -चुन ले गए, होते ही भिनसार।।18मेरे भी मन में रही,आऊँ तेरे द्वार।पग के छाले रोकते, चलने से हर बार।19अनजानी राहें सभी,साया ही था साथ।जीवन अंधा मोड़ था,थामा तुमने हाथ।।20रात उदासी से भरी , हम कर दे उजियार।चन्दा अपने साथ तो ,मिट जाए अँधियार21जीवन में तुमको मिले, सारा सुख- संसार ।यश फैले चारों दिशा,बरसे पावन प्यार।।22राजा जनता का रहा, युगों युगों से खेलकोल्हू में पेरे गए,खींचा सारा तेल।।23नारी की पूजा कहाँ, पढ़ी नहीं है पीर।कोई भी हो युग रहा,पापी खींचे चीर ।24अब आएँ या अब मिलें, रोम -रोम हैं कान ।कौन द्वार पर है खड़ा उनको तनिक न भान।25रस्ते में दम तोड़ते, सारे ही सन्देश।आँखों में मन में तिरे, तेरे उलझे केश।।26खोया -खोया दिन रहा,आँसू भीगी रात।पलभर को कब हो सकी,अपनों से भी बात।।27बाहर छाया मौन था,भीतर हाहाकार।मन में रिसते घाव थे,हुआ नहीं उपचार।28कहने को तो भीड़ थी,आँगन तक में शोर।मेरे अपने मौन थे,चला न उन पर जोर।।29नींद नहीं थी नैन में,सपने कोसों दूर।मन की मन में ही रही,सब कुछ चकनाचूर।।30जीवन को बाँधे सदा, गहन प्रेम की डोर।नेह -भाव से हों पगे, जिसके दोनों छोर।।
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