Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार मुकुल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ओह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= कुमार मुकुल
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ओह घरी
मउअत ना रहे
अमरतो ना रहे
रात आउर दिन के
भेदो ना रहे
बिना हवा के शून्‍य में
ओह घरि
बस बरहम रहन
ओकर अलावे
केहू
कहीं ना रहे ॥2॥

न मृत्युरासीदमृतं न तर्हि न रात्र्या अह्न आसीत्प्रकेतः।
अनीद वातं स्वधया तदेकं तस्मादधान्यन्न पर किं च नास ॥2॥

</poem>
775
edits