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पात टूटकर डाल से / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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15:56, 14 मई 2019
'''पात टूटकर डाल से,कभी न आए हाथ।'''
पर वे मिलकर ही रहे , जिनका सच्चा साथ।।
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मानव का जीवन मिला, किए दानवी काम।
जागे थे नफ़रत लिये,हाथ कलह का थाम।।
</poem>
वीरबाला
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