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|रचनाकार=ऋषिपाल धीमान ऋषि
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|संग्रह=शबनमी अहसास / ऋषिपाल धीमान ऋषि
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<poem>
देख मेरे यार अब न हम सफ़र की बात कर
जो पड़ी वीरान है उस रहगुज़र की बात कर।

शहरों की ऊँची बड़ी बातें नहीं सुननी मुझे
गांव की बातें सुना तू और घर की बात कर।

इस जहां की धोखेबाज़ी से मुझे क्या वास्ता
उस हसीं मासूम की प्यारी नज़र की बात कर।

बात शब की और अंधेरों का फ़साना छोड़ कर
रौशनी का ना तराना और सहर की बात कर।

पांव हैं तेरे सलामत, कर ख़ुदा का शुक्र तू
देख अब मत आसमां और बालो-पर की बात कर।

बे-वजह लिक्खे गये शेरों की बातें छोड़ दे
दर्दो-ग़म में डूबे नग़मों के असर की बात कर।
</poem>
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