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10:51, 22 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
|अनुवादक=
|संग्रह=रेत पर उंगली चली है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
दर्दे-सर बेशुमार मत लेना
तार-टूटा सितार मत लेना।
जाने-जानां से तोड़ कर रिश्ते
दिल में नश्तर उतार मत लेना।
हो मलामत भले, मुरव्वत की
अपनी आदत सुधार मत लेना।
आशिक़ों इश्क़ में नसीहत है
इम्तिहां बार-बार मत लेना।
हार मुमकिन हसीन धोखा हो
जीत में कर शुमार मत लेना।
जब भी आये बहार गुलशन में
पल अकेले गुज़ार मत लेना।
हैं जो दीवाने प्यार में 'विश्वास'
उनको हलके में यार मत लेना।
</poem>