Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास' |अन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
|अनुवादक=
|संग्रह=रेत पर उंगली चली है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
रोक कोई न , आ कर चले जाइयेगा
रस्मे-उल्फ़त निभा कर चले जाइयेगा।

कुछ उदासी घटा कर चले जाइयेगा
एक दीपक जला कर चले जाइयेगा।

कर दिये दफ़्न शिकवे गिले सब पुराने
कोई वादा नया हर चले जाइयेगा।

चांद उगने ही वाला है कुछ देर रुकिए
चांदनी में नहा कर चले जाइयेगा।

रात दिन में बदल जायेगी एक पल में
रुख़ से पर्दा उठा कर चले जाइयेगा।

मैंने सोचा नहीं था कभी ज़िन्दगी में
इस तरह आप आकर चले जाइयेगा।

अर्ज़ 'विश्वास' है गुनगुना कर ग़ज़ल इक
दर्द को गुदगुदा कर चले जाइयेगा।
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits