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|रचनाकार=कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
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|संग्रह=रेत पर उंगली चली है / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'
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<poem>
चाहता हूँ सब सफल हों साधनायें आपकी
टाल दे, नव-वर्ष पथ की आपदाएं आपकी।

ह्रास हो त्रय-ताप में नित मान धन में वृद्धि हो
हों सभी स्वीकार प्रभु को प्रार्थनाएं आपकी।

वीर-वर, शत-शत बधाई, पथ चुना संघर्ष का
पूर्ण जगदम्बा करेंगी, कामनाएं आपकी।

देख कर , फैला हुआ, पुख्ता कवच आशीष का
द्वार से ही लौट जाएंगी बलाएं आपकी।

गुप्त सेवा का लिया, अतिशय धवल संकल्प है
दर-गुज़र भगवान कर दें सब खताएं आपकी।

पत्र पढ़कर, बढ़ गया, साहस हमारा सौ-गुना
छू गई दिल को हमारे भावनाएं आपकी।

कोष ये आशीष का, सौ वर्ष तक खाली न हो
मिल सके 'विश्वास' को हर पल दुआएं आपकी।

</poem>
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