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<poem>
उसकी लहू-सी लाल आँखों में
खतरनाक शोषण की डरावनी निशानियाँ
दिखती थी…

मैं देख रहा था उसे कि तभी
धाँय से
चीख़ते हुए
भीतर-बाहर पसीजते हुए
वहीं की पथरीली ज़मीन पर
बुरी तरह से गिर पड़ा था वह

और मेरे होठों पर
एक शब्द था —

आह !
</poem>
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