1,593 bytes added,
05:19, 3 जून 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
|अनुवादक=
|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
तारों भरी है रात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं
रौशन है कायनात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं।
अहले-जहां सुनो कि तुम्हें आज दर्द से
मिल जायेगी निजात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं।
कुछ देर भूल जाओ न हर बात अक़्ल की
होगी दिलों की बात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं।
आये हैं मुद्दतों पे तो आंखों में अश्क़ आज
धुलने दो ये हयात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं।
बिछ जायेगी दिलों में तुम्हारे ख़ुदा क़सम
एहसास की बिसात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं।
मुमकिन नहीं कि ख़ूने-जिगर हो न पाए आज
होगी ये वारदात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं।
तुम ज़िन्दगी की जंग में जीतोगे तो मगर
होगा न कोई मात ग़ज़ल कह रहा हूँ मैं।
</poem>