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05:20, 3 जून 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
|अनुवादक=
|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
मिरा दिल मुझसे धोखा कर गया तो
कहीं ये मुझसे पहले मर गया तो।
मैं अपना कत्ल तो कर लेता लेकिन
कहीं इल्ज़ाम तेरे सर गया तो।
मिरी नाकामियों तुम ये भी सोचो
मैं हर उम्मीद से ही डर गया तो।
चले जाएंगे लाखों लोग नीचे
अगर तू और कुछ ऊपर गया तो।
मिरा दुश्मन लगा मुझसे भी बेहतर
मैं उसके दिले के अंदर जब गया तो।
मिरे बच्चों से होंगी मेरी बातें
किसी दिन वक़्त पर मैं घर गया तो।
मैं खाली ट्यूब हूँ पहिये का लेकिन
हवा बनकर तू मुझमें भर गया तो।
</poem>