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{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
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|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
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<poem>
जाने क्या आज हुआ है मुझसे
दिल मिरा रूठ गया है मुझसे।

जान ईमाँ न करूँ क्यों कुरबां
उसने मांगी जो दुआ है मुझसे।

पहले जी भर के तो रो लेने दो
कोई मुद्दत पे मिला है मुझसे।

वो कोई ग़ैर नहीं अपना है
वरना क्यों उसको गिला है मुझसे।

यूँ मिले चैन तो मैं मर जाऊं
आज क्यों दर्द खफ़ा है मुझसे।

कितनी ज़ालिम है तुम्हारी दुनिया
एक बच्चे ने कहा है मुझसे।

अपनी ख़ूबी को नहीं थी जो पता
मेरे दुश्मन ने सुना है मुझसे।

</poem>
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