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{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
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|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
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<poem>
चांद क्या फूल क्या सुबू क्या है
मुझसे पूछे कोई कि तू क्या है।

तेरी नज़रों ने दिल को धो डाला
मुझको अब हाजते-रफू क्या है।

सीख ली रूह की ज़बां मैंने
अब ये लफ़्ज़ों की गुफ्तगू क्या है।

हो न जाये गुनाह फिर कोई
या ख़ुदा मेरे रू-ब-रू क्या है।

इक क़यामत से दोस्ती कर ली
फिर ये जीने की आरज़ू क्या है।

इक तिरा प्यार मिल सका न अगर
नाम शुहरत ये आबरू क्या है।

क्या पता ख़ुद को ढूंढ लूं इक दिन
पूछ मत मुझसे जुस्तजू क्या है।
</poem>
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