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{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
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|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
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<poem>
हमारे नाम का चर्चा हुआ इसकी खुशी तो है
किसी की गुफ्तगू में अब हमारी ज़िन्दगी तो है।

इसी पर सब्र है दिल को कि रिश्ता हो गया क़ायम
नहीं है दोस्ती तो क्या किसी से दुश्मनी तो है।

कई मजबूरियां हैं इसलिए ख़ामोश रहता हूँ
मगर फिर भी मुझे इस बात की शर्मिंदगी तो है।

ज़माना फैसला देखेगा मैं इंसाफ़ देखूंगा
अदालत में तुम्हारी आज मेरी हाज़िरी तो है।

न दो इल्ज़ाम ये इश्के-बुतां का दोस्तो हम पर
किसी के सामने होती हो अपनी बन्दगी तो है।

अभी भी जल रही है मेरे दिल की शमअ पहले भी
मिरी आंखों को तुझ तक देखने भर रौशनी तो है।

नहीं दौलत नहीं शुहरत नहीं हस्ती मिरी तो क्या
मैं खुश हूँ साथ मेरे आज मेरी शायरी तो है।

'नयन' कुछ शेर कहना आ गया अल्ला क़सम तुझको
ग़ज़ल पर तेरी महफ़िल में मची कुछ खलबली तो है।

</poem>
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