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{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
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|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
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<poem>
कभी उदास कभी दिल ये बेक़रार लगे
बड़ा अजीब ये उल्फ़त का कारोबार लगे।

न सिर्फ तुमसे मैं दुनिया से भी हो जाऊँ फ़ना
मिरा ये प्यार अगर तुमको नागवार लगे।

हमारे दिल को परखकर ही कुछ कहो हमको
हमारा लाख ये किरदार गुनहगार लगे।

सवाले-वस्ल पे तेरी ये ख़ामुशी तो मुझे
बुरा न माने तो कह दूँ तिरा ही प्यार लगे।

लगाये तुझपे कोई तुहमतें हज़ार मगर
ख़ुदा क़सम तिरा किरदार शानदार लगे।

क़दम जहां भी पड़े फूल खिल उठे हैं वहां
जहां-जहां भी रुके तू वहां बहार लगे।

सुने तो दाद न दे कोई बस ख़ामोश रहे
उसी ग़ज़ल का कोई शेर तू तो यार लगे।

</poem>
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