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17:44, 6 जुलाई 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विनय मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
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{{KKCatGhazal}}
<poem>
हमने देखा यह हादसा होना
रात के बाद रात का होना
उस जगह से जहांँ रुकी उम्मीद
कितना मुश्किल है रास्ता होना
मौत का ज़ायका बढ़ाता है
ज़िन्दगी तेरा बेमज़ा होना
ये बुरी बात है सियासत में
आदमी होना फिर भला होना
सोचकर देख कैसा लगता है
सूखते ज़ख्म का हरा होना
चांँदनी की चमक है रातों में
मुझमें ये तेरा हौसला होना
मंज़िलें एक जब नहीं सबकी
राह में तब किसी का क्या होना
</poem>
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