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{{KKRachna
|रचनाकार=सुनीता शानू
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
आधी बात कही थी तुमने
और आधी मैने भी जोड़ी
तब जाकर तस्वीर बनी थी।
सच्ची-झूठी थोड़ी-थोड़ी।
नटखट सी बातों के पीछे
दुनिया भर का प्यार छुपा
मुस्काती-सी आँखो में भी-
जाने कैसा स्वप्न दिखा
लूट लिया भोला-सा बचपन
मैने भी बस आँखें मूंदी
भूले बिसरे चित्र छुपाए-
समय के टुकड़े आज समेटॆ-
मौन में फिर से गीत सुनाए।
तब जाकर तस्वीर बनी थी
सच्ची-झूठी, थोड़ी-थोड़ी।
</poem>
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|रचनाकार=सुनीता शानू
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
आधी बात कही थी तुमने
और आधी मैने भी जोड़ी
तब जाकर तस्वीर बनी थी।
सच्ची-झूठी थोड़ी-थोड़ी।
नटखट सी बातों के पीछे
दुनिया भर का प्यार छुपा
मुस्काती-सी आँखो में भी-
जाने कैसा स्वप्न दिखा
लूट लिया भोला-सा बचपन
मैने भी बस आँखें मूंदी
भूले बिसरे चित्र छुपाए-
समय के टुकड़े आज समेटॆ-
मौन में फिर से गीत सुनाए।
तब जाकर तस्वीर बनी थी
सच्ची-झूठी, थोड़ी-थोड़ी।
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